शनिवार, 1 सितंबर 2012

कवि सुधीर गुप्‍ता 'चक्र'


बी एच ई एल के महाप्रबंधक प्रभारी श्री ए के दबे से वर्ष 2011 के लिए हिन्दी चल वैजन्ती प्राप्त करते हुए मध्य में नीली शर्ट पहने हुए हिन्दी समन्वयकर्ता एवं कवि सुधीर गुप्ता "चक्र"।

घर की ढेरों चीजें 
जो व्यवस्थित रखी हैं
अपने-अपने स्थान पर 
 फिर भी
हम भूल जाते हैं  
रखकर उन्हें
दो ही लोग निभाते हैं 
केवल इस जिम्मेदारी को
जो 
आज हमारे साथ हैं
समय बीतते
साथ छोड़ दिया 
दोनों ने
अब हम  चीजों की जगह
साहित्‍यकार-5 में कवि सुधीर गुप्‍ता 'चक्र'
अम्मा और बाबूजी 
को भूलने लगे हैं
घर की चीजें  
जो यहां-वहां पडी‌ हैं
उन्हें संभालना अब 
हमारी जिम्मेदारी है
बंटवारे में हमारे हिस्से में 
मिली चीजों को
संभालकर रखने में 
निकल जाता है आधा दिन
अब वह सबकी नहीं 
बल्कि
केवल हमारी सम्पत्ति का हिस्सा हैं।
बुलन्‍द शहर में सम्‍मानित

2 टिप्‍पणियां:

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

very true .too good .
mubarakbad.

RAGHUNATH MISRA ने कहा…

भाई सुधीर गुप्ता को वर्ष २०११ के लिए चल वैजयंती पुरस्कार,बुलंदशहर में सम्मानित होने और साहित्यकार-५ में ४ अन्य ख्यातनाम साहित्यकारों के साथ प्रकाशित होने पर हार्दिक बधाई व सुभोज्ज्वाल भविष्य की अनंत शुभ कामनाएं.सुधीर की यहाँ आकुल के सान्निद्ध्यादार्पण पर प्रकाशित रचनाएँ प्रिय लगीं.मेरे प्रिय मित्र/भाई आकुल को यह नया चित्ताकर्षक ब्लॉग प्रारम्भ करने के लिए बहुत बहुत बधाई.